नई राह देखे पग तेरा
नई उमंगें, नया सवेरा
आज मान ले कहना मेरा
कदम बढ़ा ले उन्नति पथ पर
क्यों बीती चिन्ता ने घेरा।
रात-रात भर सपने देखे
इधर-उधर की भारी उलझन
कहाँ भटकता रहा रात भर
दिन होते ही भूल गया मन।
अच्छे और बुरे सपनों का
अब विश्लेषण छोड़ भी दे तू,
उठ बिस्तर से निर्मल हो जा
स्वप्न की बातें छोड़ भी दे तू।
नई उमंगें नया सवेरा
नई राह देखे पग तेरा,
नए लक्ष्य पर आज गाड़ दे
अपना झंडा, अपना डेरा।
योजक का प्रयोग
पुनरुक्ति अलंकार का प्रयोग, अनुप्रास अलंकार
सादर धन्यवाद बहन
👏👏
सादर नमस्कार
बहुत सुन्दर भाव
सादर प्रणाम जी
उत्साह के लिए प्रेरित करती उत्साह से सजी ,बहुत सुंदर रचना
बहुत सारा धन्यवाद
सुस्वागतम🙏
सादर धन्यवाद आभार
बहुत खूब
सादर धन्यवाद
वाह
धन्यवाद