नदी के दो किनारों पर मेरी नज़र टिकी थी,

नदी के दो किनारों पर मेरी नज़र टिकी थी,
एक छोर पे मैं और दूजे छोर वो खड़ी थी,
समन्दर था लहरें थीं कश्ती थी सामने,
इन सब के मध्य भी मेरी मोहब्बत डटी थी।।

– राही (अंजाना)

Related Articles

नज़र ..

प्रेम  होता  दिलों  से  है फंसती  नज़र , एक तुम्हारी नज़र , एक हमारी नज़र, जब तुम आई नज़र , जब मैं आया नज़र, फिर…

Responses

+

New Report

Close