Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
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बचपन की यादें
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सभी मित्रों को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ जाने कहां जा रही आज की पीढ़ी, नए नए ढंग है इनके, नई नई सोच है इनकी,…
अतिसुंदर भाव
tq
बहुत ही उच्चस्तरीय बात कही है आप अपनी छोटी सी कविता में।आपकी कविता तारीफ़ ए क़ाबिल है।
धन्यवाद