नयन नीर सींचे न सींचे..
वह सोचता है,
यदि रूठ जाऊं
तो वो मुझे मनाये
वो सोचती है रूठने पर
वो मुझे मनाये,
एक सोचता है
दूसरा मुझे मनाये
रूठने पर
न वो मनाती है
न वो मनाता है,
रूठना भी रूठ जाता है,
समय छूट जाता है
बहुत पीछे………
नयन नीर सींचे न सींचे..
प्यार सूखा रह जाता है….
वाह सर, अतीव सुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत ही शानदार
धन्यवाद जी
बहुत ख़ूब
बहुत बहुत धन्यवाद
अतिसुंदर भाव
सादर धन्यवाद
Bahut he sunder prastuti
बहुत बहुत आभार
अतिसुंदर
सादर आभार
अति सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद