नया साल
भूल जाओ बीता साल जो हुआ सो हुआ
कुछ नई उम्मीद ले नया साल आ गया|
नए रंग भरेंगे जीवन में
कुछ नया करेंगे जीवन में
खुशियों के थाल सजाएंगे
बीती बातें बिसराऐगे
हम नई मंजिल पाएंगे
नए- नए साहिल पाएंगे
क्यों न सुधारे बिगड़े रिश्ते ,जो हुआ सो हुआ
कुछ नई उम्मीदें ले नया साल आ गया||
फूल चमन में नये खेलेंगे
उम्मीदों के पंख मिलेंगे
फिर नये बादल छाएंगे
सुंदर से मौसम आएंगे
स्वागत करें नए सपनों का
संग सदा रहे अपनो का
यू आपस में प्यार बढ़ाएं जो हुआ सो हुआ
कुछ नई उम्मीदें ले नया साल आ गया||
डॉ कुमार धीरेंद्र
वाह सर, सावन की काव्य गोष्ठी में आपको सुना था, आज आपने यह बेहतरीन प्रस्तुति दी है, वाह
Aabhaar
बहुत बेहतरीन कविता है सर
Aabhaar
बहुत ही सुन्दर
Dhanyavaad, aabhaar
Aabhaar
अतिसुंदर गीत
Aabhaar sir
बहुत खूब
Dhanyavaad
Nice