नये युग का सूत्रपात

विदेशी वस्तुओं का क्यू ना बहिष्कार करें
आज से ही एक नया युग का सूत्रपात करें ।।
विदेशी वस्तुओं का,सिलसिलेवार ढंग से, सरकार तहकीकात करे
चिन्हित वैसी विदेशी वस्तुओं से जनता का साक्षात्कार करें
फिर उन लोकप्रिय सामग्रियों के निर्माण की, स्वदेश में
शुरुआत करें ।।
साम्राज्यवादिता की प्रवृत्ति रही है जिनकी
जो दो-दो विश्वयुद्धो के सृजनहार थे
धूरी राष्ट्रों में शामिल थेजो ,उनपे कैसे क्यू विश्वास करें
किसी एकदेश की नहीं,हर विदेशी वस्तुओं का क्यू ना बहिष्कार करें ।।
कब पलट जाएँगे,क्या देखकर ललचाएगे वे
कब किसे छोङकर, किसका दामन थामेंगे वे
संभल जाएँ समय रहते, क्या जाने कब विश्वासघात करें ।।
कभी रूस का मुँह ताकतें हैं, कभी फ्रांस को निहारते
कभी सुखोई कभी राफेल,क्यूँ विदेशी को स्वीकारते
है जमी पे इतनी संपदा,क्यू न थोङा जोखिम उठा
खुद ही इनके निर्माण का, खुद क्यू न सूत्रधार बनें ।।
मैत्री करके सीखने की प्रवृत्ति को क्यू नहीं अपनाते हैं हम
तकनीकी ज्ञान हासिल कर,रक्षा उपकरणों को तराशते है हम
अपने मानव संसाधनों में खोज की प्रवृत्ति का क्यू ना सूत्रपात करें ।।
विदेशी रक्षा उपकरणों के बल पे अपनी शक्तियो का क्यू करें प्रदर्शन
आयातित सामग्रियों को देख,हम जैसों का विहल हैं अन्तर्मन
शून्य के जनक हो जिस वतन में,उसपे और न वज्रपात करे।।
हे जनप्रतिनिधि! कलाम, नागार्जुन,वशिष्ठ की यह पावन भूमि है
जहाँ के हर शिशु में,एक -से बढकर एक खूबी है
बस उनकी सुप्तावस्था की शक्तियो का जागरण करें
विद्यालय में सही मायने में , नवाचार के चलन का आत्मसात करें ।।
सुमन आर्या

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

मैत्री

मैत्री म्हनजे गोड, निरागस, सुंदर, प्रेमल नातं, कधी हसवनारं तर कधी क्वचित रडवनारं…||ध्रू|| मैत्री म्हनजे जिव्हाला, एकमेकांबाबत मनात कलवला, मैत्री म्हनजे एक सुंदर जिव्हाल्याचा खेल,…

Responses

+

New Report

Close