नव वर्ष आ रहा है
समय की धीर लहरें
बढ़े ही जा रही हैं,
खुद में बीते दिनों को
समाते जा रही हैं।
जा रहा यह बरस अब
वक्त के इस जलधि में,
आ रहा नव-बरस है
आज बिंदास गति में।
रेत सी जिन्दगी है,
बीतता वक्त है यह,
काल के इस उदधि में
समाता वक्त है यह।
नए पल आ रहे हैं
पुराने जा रहे हैं,
रेत में चिन्ह अपने
घोलते जा रहे हैं।
पुराना जा रहा है
उसे है नम विदाई,
नया जो आ रहा है
आज उसकी बधाई।
पा सके थे नहीं जो
आप बीते बरस में,
वो मिले आपको अब
आ रहे नव-बरस में।
नैन आशा जगायें
होंठ मुस्कान लायें,
जहां भी आप जायें
वहां सम्मान पायें।
दूर हो रोग -बाधा
सभी का स्वस्थ तन हो
बनें राहें सरल सब
नहीं कुछ भी कठिन हो।
सभी निज लक्ष्य पायें
उदर का भक्ष्य पायें
झूठ के मार्ग को तज
सत्य के गीत गायें।
रेत सा वक्त है यह
लहर गतिमान है यह
नहीं रुकता कभी भी
सभी को भान हो यह।
निरंतर चल रहा है
वक्त, हम भी चलें अब
इस नए वर्ष में अब
सभी संकल्प लें यह।
जा रहे नव बरस को
आज है नम विदाई,
आ रहे नव बरस की
आज सबको बधाई।
——- डॉ0 सतीश चन्द्र पाण्डेय
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Harish Joshi - January 1, 2021, 8:12 pm
बहुत ही सुन्दर रचना।👍👍
Nitin Joshi - January 1, 2021, 8:15 pm
बहुत सुंदर।❤️
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:25 pm
बहुत धन्यवाद
Shraddha Forest - January 5, 2021, 10:40 am
सुंदर रचना..
Geeta kumari - January 1, 2021, 8:15 pm
“नए पल आ रहे हैं पुराने जा रहे हैं,रेत में चिन्ह अपने
घोलते जा रहे हैं।पुराना जा रहा हैउसे है नम विदाई,
नया जो आ रहा है आज उसकी बधाई।
पा सके थे नहीं जो आप बीते बरस में,
वो मिले आपको अब आ रहे नव-बरस में।”
चित्र के अनुरूप बहुत ही सुंदर कविता है
सुन्दर शिल्प और कथ्य का बेमिसाल गठ बंधन है
सभी चाहते हैं कि जो कामयाबी बीते बरस में न मिल सकी
वो आने वाले बरस में मिले और साथ ही साथ कवि सतीश जी ने
आने वाले वर्ष की बहुत ही सहृदयता से बधाई भी दी है
बहुत ही सुन्दर लय बद्ध शैली में बहुत सुन्दर कविता
आपको भी नव वर्ष की बहुत-बहुत बधाई सतीश जी
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:26 pm
इतनी जबरदस्त समीक्षगत टिप्पणी से मन भावुक हुआ, बहुत बहुत धन्यवाद है आपको गीता जी।
Pragya Shukla - January 1, 2021, 8:21 pm
बहुत ही कम शब्दों में सटीक रचना
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:27 pm
सादर धन्यवाद
Nitin Joshi - January 1, 2021, 8:22 pm
अति सुंदर रचना।❤️
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:27 pm
बहुत बहुत धन्यवाद नितिन जी
harish pandey - January 1, 2021, 8:23 pm
बहुत सुंदर रचना लाजवाब 👌👌
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:27 pm
बहुत बहुत धन्यवाद हरी
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - January 1, 2021, 8:37 pm
बहुत खूब
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:28 pm
सादर धन्यवाद शास्त्री जी
Anu Singla - January 1, 2021, 8:49 pm
बहुत सुन्दर लिखा
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:28 pm
टिप्पणी हेतु सादर धन्यवाद अनु जी
Deepak Kumar - January 1, 2021, 8:55 pm
बेहतरीन रचना।
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:29 pm
बहुत बहुत धन्यवाद जी
Harshita Joshi - January 1, 2021, 8:59 pm
Bhut khub
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:29 pm
Thanks ji
tiwari brother - January 1, 2021, 9:02 pm
Bahut Sundar Rachna
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:29 pm
Thank you ji
RAVI TIWARI - January 1, 2021, 9:03 pm
Bahut Sundar Rachna
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:30 pm
Thanks Ravi
KAILASH CHANDRA TIWARI - January 1, 2021, 9:04 pm
Very good poem
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:31 pm
स्नेहिल धन्यवाद
Ravi Tiwari - January 1, 2021, 9:06 pm
Beautiful poem
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:32 pm
बहुत बहुत धन्यवाद
TARA DUTT Tiwari - January 1, 2021, 9:07 pm
Bahut Sundar Rachna
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:33 pm
सादर धन्यवाद
Jagdish Tiwari - January 1, 2021, 9:08 pm
Bahut Sundar likha hai
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:33 pm
Thanks
Kamal Tiwari - January 1, 2021, 9:09 pm
Bahut Sundar Rachna chacha ji
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:33 pm
Thanks
AMAR Singh - January 1, 2021, 9:11 pm
Bahut Sundar Rachna
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:34 pm
Thank you
NIRANJAN LAL - January 1, 2021, 9:12 pm
Bahut Sundar Rachna
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:34 pm
🙏🙏
RAVI TIWARI - January 1, 2021, 9:13 pm
Bahut Sundar Rachna chacha ji
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:34 pm
बहुत बहुत धन्यवाद
Chandra Pandey - January 1, 2021, 9:31 pm
शानदार रचना है, जैसा चित्र दिया गया है बिल्कुल वैसी ही रचना है।
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:35 pm
बहुत बहुत धन्यवाद
Isha Pandey - January 1, 2021, 9:38 pm
आपकी रचना बहुत ही लाजवाब है। picture के अनुरूप जो आपने लिखा है वह बहुत ही सुंदर है।
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:36 pm
प्रेरणा हेतु हार्दिक धन्यवाद
Kumar Dheerendra - January 1, 2021, 10:26 pm
बहुत खूब
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:36 pm
बहुत बहुत धन्यवाद
Suman Kumari - January 1, 2021, 10:36 pm
बहुत ही सुन्दर
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:36 pm
सादर धन्यवाद
Renu Santosh - January 1, 2021, 11:38 pm
Lovely and heart touching poem
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:37 pm
Thank you
Virendra sen - January 2, 2021, 8:16 am
अति सुन्दर भाव
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:37 pm
सादर धन्यवाद
Raju Pandey - January 2, 2021, 11:42 am
शानदार रचना। बधाई 👏👏
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:40 pm
बहुत बहुत धन्यवाद
Ramu Joshi - January 2, 2021, 1:28 pm
चित्र के अनुरूप रचना करने में आपको महारत हासिल है सर, हूबहू चित्रानुरूप रचना।
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:42 pm
बहुत बहुत धन्यवाद
Devi Kamla - January 3, 2021, 7:25 pm
चित्र पर बहुत शानदार रचना प्रस्तुत की है पाण्डेय जी, आपकी लेखनी से अत्यंत रचना का सृजन हुआ है। बहुत खूब
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:43 pm
बहुत बहुत धन्यवाद
Indra Pandey - January 3, 2021, 7:45 pm
बहुत ही उत्तम और सराहनीय कविता है सर, वाह
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:43 pm
Thank you ji
Piyush Joshi - January 4, 2021, 1:30 pm
जा रहा यह बरस अब
वक्त के इस जलधि में,
आ रहा नव-बरस है
आज बिंदास गति में।
रेत सी जिन्दगी है,
बीतता वक्त है यह,
काल के इस उदधि में
समाता वक्त है यह।
——- जैसा चित्र है वैसी ही कविता है। लहरें आ रही हैं, 2020 समुद्र में समा रहा है। वाह अदभुत कविता की सृष्टि हुई है।
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:43 pm
बहुत बहुत आभार
MS Lohaghat - January 4, 2021, 1:41 pm
बहुत ही मौलिक तरीके से चित्र पर रचना की है। आती हुई लहरों, और उन लहरों का 2020 को धीरे-धीरे अपने में समाना, यह सुरम्यता से चित्रित हुआ है यथा—
समय की धीर लहरें
बढ़े ही जा रही हैं,
खुद में बीते दिनों को
समाते जा रही हैं।
— चित्र का मुख्य भाव है कि समय की लहरें बढ़ती जाती हैं। बीते समय को अपने में समाती जाती हैं। जैसे आज वर्ष 2021 के 4 दिन भी समय समुद्र में समा गए हैं। कवि द्वारा चित्रित यह निरन्तरता प्रशंसनीय है।
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:45 pm
बहुत बहुत धन्यवाद सर
Chetna jankalyan Avam sanskritik utthan samiti - January 4, 2021, 2:48 pm
Bahut sundar rachna
Satish Pandey - January 4, 2021, 5:45 pm
सादर आभार
Ramesh Joshi - January 4, 2021, 2:57 pm
बहुत सुन्दरता से शांतचित्त होकर लिखी कविता प्रतीत होती है। इसमें बेहतरीन शब्द चयन है। नवीनता की दृष्टि से चित्र का अवलोकन कर समग्रता से कविता की सृष्टि हुई है। बहुत खूब
Satish Pandey - January 4, 2021, 5:45 pm
बहुत बहुत धन्यवाद
Mamta Sharma - January 4, 2021, 2:58 pm
“रेत सी जिन्दगी है,बीतता वक्त है यह,काल के इस उदधि में
समाता वक्त है यह।नए पल आ रहे हैं पुराने जा रहे हैं,”
चित्र के अनुरूप बिल्कुल सटीक कविता है यह, जैसे कि चित्र में दर्शाया गया है कि लहरें आती हैं और पुराना लिखा हुआ रेत की सतह पर लिखे की तरह मिटता जाता है और नया आता जाता है। कवि सतीश जी की काबिले तारीफ़ रचना
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:46 pm
आपकी इस सहृदयता हेतु सादर धन्यवाद जी, आभार
Deepa Sharma - January 4, 2021, 3:07 pm
चित्र के अनुसार लिखी गई कवि सतीश जी की इतनी जबरदस्त और शानदार रचना। यह तो प्रतियोगिता की श्रेणी में अति उत्तम है। बहुत ही सुन्दर। शानदार लेखनी। शिल्प और भाव दोनों दृष्टियों से अति उत्तम रचना ।
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:47 pm
सादर आभार व्यक्त करता हूँ। सादर अभिवादन
Arvind Kumar - January 4, 2021, 3:17 pm
आपकी कलम से नव वर्ष की बहुत ही बेहतरीन कविता लिखी गई है सर और प्रतियोगिता के लिए चित्र के अनुरूप बिल्कुल सटीक भी है।
“समय की धीर लहरें बढ़े ही जा रही हैं,
खुद में बीते दिनों को समाते जा रही हैं।”
जैसा चित्र है वैसी ही कविता, लाजवाब सर, बहुत खूब पाण्डेय जी।
Satish Pandey - January 4, 2021, 3:48 pm
आपको बहुत बहुत धन्यवाद है। सादर अभिवादन है।
Aakash Malik - January 4, 2021, 3:49 pm
दिए गए चित्र के अनुरूप नव वर्ष पर कवि सतीश जी की बहुत ही सुन्दर और सटीक रचना । आपकी लेखनी से निकली सुन्दर लय और भाव लिए हुए बेहद शानदार कविता
Satish Pandey - January 4, 2021, 5:45 pm
आपके द्वारा की गई इस स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु हृदय तल से आभार।
Geeta kumari - January 6, 2021, 6:02 pm
Thank You