नशा

गम न झेल पाया
नशा आजमाया,
दायित्व को स्वयं के
निभा न पाया
नशा आजमाया,
बुरी संगतों में
पड़कर तूने
नशा आजमाया।
नशे पर फिर तूने
सब कुछ लुटाया,
बाद में नशे ने तुझे
गटर में गिराया।
घर परिवार सब कुछ
गंवाया।

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Responses

  1. नशा नाश का दूजा नाम तन, मन, धन तीनों बेकार…
    नशा नहीं जिन्दगी अपनाएं

  2. नशे की आदत और उसकी हानि को दर्शाती हुई बेहद खूबसूरत रचना है कवि सतीश जी की

  3. नशा जीवन मे पनपती ऐसी लत है जिसका पथ चिकना, ढालू होता है शीघ बढकर जीवन को नष्ट करने लगती है ।

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