नसीब अपना अपना…

नसीब सबका है अपना – अपना ,
कहीं ख्वाब परवान चढ़े, कहीं हुआ झूठा कोई सपना।
ज़िन्दगी में जो मिला, वो भी कुछ काम ना था।
ऐसा भी नहीं है, कि कोई ग़म ना था।
कुछ दर्द ऐसे भी है, जो बिन कहे ही सह गए,
कुछ ख्वाब ऐसे भी हैं, जो आंसुओं संग बह गए।

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Responses

  1. बहुत सारा धन्यवाद आपका सतीश जी। इतनी सुंदर समीक्षा के लिए आपकी आभारी हूं।🙏 आप खुद इतने अच्छे कवि हैं।

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