नारी वर्णन

मयखाने में साक़ी जैसी
दीपक में बाती जैसी

नयनो में फैले काजल सी
बगिया में अमराई जैसी

बरगद की शीतल छाया-सी
बसन्त शोभित सुरभी जैसी

गीता कुरान की वाणी-सी
गंगा यमुना लहराती जैसी

बगीचे की हरि दूब जैसी
आँगन में हो तुलसी जैसी

आकाश में छाय बदल सी
शीतल बहती पुरवाई जैसी

फूलों की खिलती क्यारी सी
समुदर की गहराई जैसी

रंगों में इन्द्रधनुष जैसी
सावन में धार झरती जैसी

मौत में जीने की चाह सी
मृग में छिपी कस्तूरी जैसी

मन में रहती हिम शिला सी
हिमालय की उच्चाई जैसी

चुभती मन में काँटों जैसी
पूनम रात चांदनी जैसी

सजन मन छाय बात याद की
याद रहे परछाई जैसी

?? रीता जयहिंद ??

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