ना जाने कब सुबह आएगी
किसी की आह में हम खोए हैं
ना जाने कब वो नज़र आएगी
एक रात की पनाह में सोये हैं
ना जाने कब सुबह आएगी
पूछो तो सासों के सुर बता सकता हूं
ना रूप, ना रंग, ना हाल बता सकता हूं
ना नाम, ना पता बता सकता हूं
मगर पूछो तो धडकन क़ी ताल बता सकता हूं
Nice and different poetry
वाह बहुत सुंदर
Good
Very nice
वाह