निराशाओं का भंवर
हौसला रखकर चलना होगा
परिस्थिति हमेशा इसतरह
कहाँ रह पाएगी ।
कबतक दर्द से नाता रहेगा
कहाँ तक निराशाओं का
यह भंवर सहमाएगी।
कठिनाई के ये दिन
जाते-जाते भी
सकारात्मकता की
सीख हमें दे जाएँगी ।
ये तकलीफ़े
जो वक्त से मिले हैं हमें
एक नयी सोंच से
परिचय मेरा करवायेगी ।
धीरज के ये तिनके
समेट कर रखें हैं हमने
आने वाले अच्छे दिनों की
जो नन्ही- सी आश जगायेगी ।
बढ़िया प्रस्तुति की है आपने
सुमन जी हमेशा की तरह
बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञाजी!
उच्चस्तरीय लेखन चुंनिंदा शब्द
बहुत खूब
बहुत ही सुंदर पंक्तियां
सुन्दर अभिव्यक्ति