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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
न्याय बीमार पड़ी है, कानून की आँख में पानी है
अत्याचार दिन ब दिन बढ़ रहे हैं भारत की बेटी पर। रो-रो कर चढ़ रही बिचारी एक-एक करके वेदी पर ।। भिलाई से लेकर दिल्ली…
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया है
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया ग्रह के गर्भ में लिपटा हैं बादलों में छुप छुप कर बैठा हैं डरा सहमा सा यह दिखता…
कसम
कविता- कसम ——————- सौ बार कसम मैने खाई , फिर खुद ही उसको तोड़ा था, जब जब होती नादानी मुझसे, रब के आगे रोया था,…
आखिरी मुलाकात
रात भर होंठों पर मुस्कान, भोर से ही सीने में गुलों का खिलना था बात कोई नई न थी, बस इस शाम अपने हमदर्द से…
अतिसुंदर
शुक्रिया
यथार्थ परक अभिव्यक्ति
धन्यवाद
चाँद की चमक भी शर्मिंदा होगी
बहुत ही मार्मिक और दमदार चित्रण
धन्यवाद
सुन्दर
धन्यवाद