निष्प्राण

तीर, तलवार और तंज की धार से,
जब निष्प्राण हुआ शरीर
अनुप्रास ही दिखे कवि को,
यहां घायल पड़ा शरीर ।।

*****✍️गीता*****

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Responses

  1. Wow, गजब ये होती है कविता ।सागर जितनी गहराई लिए हुए बहुत ही सुन्दर पंक्तियां

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