Categories: शेर-ओ-शायरी
Tags: संपादक की पसंद
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न्याय बीमार पड़ी है, कानून की आँख में पानी है
अत्याचार दिन ब दिन बढ़ रहे हैं भारत की बेटी पर। रो-रो कर चढ़ रही बिचारी एक-एक करके वेदी पर ।। भिलाई से लेकर दिल्ली…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
जिन्दगी ठहरी रही
**ज़िन्दगी ठहरी रही और उम्र आगे चल पड़ी::गज़ल** (मध्यम बहर पर) उस ख्वाब की ताबीर जब शम्म-ए-फुगन में जल पड़ी, तब ज़िन्दगी ठहरी रही और…
*हमें आजकल फुर्सत नहीं है*
आजकल चाय कॉफी का है सहारा, इसके बिना दिन कटे ना हमारा। हमें सिर उठाने की भी फुर्सत नहीं है, कभी कॉपी जांचो कभी प्रश्नपत्र…
चाहिए सब कुछ जुबाएँ ना साथ देती ।।
सब कुछ चाहिए जुबाएँ ना साथ देती, जब आती है रिश्ते शादी की जुबाएँ पर मिठास होती, देख अच्छे से ऐसी — वैसी बात होती–…
सुंदर
Thank you
बहुत ख़ूब
धन्यवाद जी
Nice lines
Thank you
bahut sundar…
Nind to pehle aati thi..
aab to jimmedari ne jaga rakha h
बहुत सुंदर समीक्षा धन्यवाद