Categories: शेर-ओ-शायरी
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
वंदेमातरम् गाता हूँ
नारों में गाते रहने से कोई राष्ट्रवादी नहीं बन सकता। आजादी आजादी चिल्लाने से कोई गांधी नहीं बन सकता। भगत सिंह बनना है तो तुमको…
तेरे इश्क मे….
तेरे इश्क मे…….तेरे इश्क मे , तेरे इश्क मे बेबस हुए तेरे इश्क मे बेखुद हुए तेरे इश्क मे बेहद हुए दीवाने हम ! तेरे…
कुछ नया करते
चलो कुछ नया करते हैं, लहरों के अनुकूल सभी तैरते, चलो हम लहरों के प्रतिकूल तैरते हैं , लहरों में आशियाना बनाते हैं, किसी की…
Ghazal
हिसारे जात से बाहर निकल के देखते हैं चलो खुद का नज़रिया हम बदल के देखते हैं … सफर का शौक है हम को कहीं…
वाह क्या बात है
शुक्रिया।
Very nice