नेक दिशा में

अंक गणित समझे बिना, लगा लिए थे अंक,
धीरे-धीरे उग गए, उल्टे सीधे पंख।
उल्टे-सीधे पंख, मार्ग विचलित करने को।
हार्मोन भी स्रवित थे भ्रमित करने को,
बोले कलम यदि हो, कोई राजा या रंक,
नेक दिशा में पंख, लगें तो ले लो अंक।

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

ख्वाहिश

समझदार हो गर, तो फिर खुद ही समझो। बताने से समझे तो क्या फायदा है॥ जो हो ख़ैरियतमंद सच्चे हमारे, तो हालत हमारी ख़ुद ही…

Responses

  1. यमक अलंकार का सुंदर प्रयोग करती हुई कवि सतीश जी की छंद बद्ध बहुत सुंदर रचना, अति उत्तम लेखन

+

New Report

Close