नेताओं की नगरी:- “नश्वर गद्दी”
🍁 नेताओं की नगरी 🍁
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समसामयिक राजनीति को समर्पित
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कितना तुझको मोह है
नश्वर गद्दी से
सुन पगले ! मैं देखती हूं
तुझको पैनी नजरों से
पैनी नजरों से देख मार डालूंगी तुझको,
एक दिन तेरी ही नजर में गिरा डालूंगी तुझको
कभी भला कर तू कुर्सी का लालच छोड़
बोल ना ऐसे तू कड़वे-कड़वे बोल
माना तेरी सरकार है एक दिन गिर जाएगी
तेरी मानवता ही सबको एक दिन याद आएगी
तू कहता रहता था अच्छे दिन आएंगे
पर यह तो बता:- वह अच्छे दिन अब कब आएंगे ??
बहुत सुंदर रचना 🙏
बिन पैंदे के लोटे हैं
आज नहीं कल वो दिन आएंगे
जब काले चश्मे
सफेद हो जाएंगे
बिल्कुल सही कहा आपने ऐसा ही होगा कविता पर टिप्पणी करने हेतु धन्यवाद
नेताओं की चाटुकारिता को
बहुत अच्छे से व्यक्त
किया है आपने…
आपकी सराहना के लिए
मेरे पास शब्द नही हैं
कवि हो तो आप जैसा
वाह प्रज्ञा जी !
क्या शब्द सागर है आपका,
सुंदर शिल्प तथा हृदय तक
जाते भाव.
एक अच्छी कविता के सभी गुण हैं
पाठक के मन को छूने वाले भाव..
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