न जाने क्यों
जब सावन के एक एक बूंद,
अंबर से धरती पे गिरती है।
तब न जाने क्यों ए ग़ालिब,
अश्क मेरी गालो को भिगोती है।।
जब सावन के एक एक बूंद,
अंबर से धरती पे गिरती है।
तब न जाने क्यों ए ग़ालिब,
अश्क मेरी गालो को भिगोती है।।
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Good
स्त्रीलिंग का प्रयोग ध्यान रखकर किया कीजिये
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Nice
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