Categories: शेर-ओ-शायरी
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नज़र ..
प्रेम होता दिलों से है फंसती नज़र , एक तुम्हारी नज़र , एक हमारी नज़र, जब तुम आई नज़र , जब मैं आया नज़र, फिर…
लौट आओ अपने खेतों पर
लौट आओ अपने खेतों पर अब हरित क्रान्ति लिख देंगे। उजाड़ गौशाला को सजाकर अब श्वेत क्रान्ति लिख देंगे। फिर से नाम किसानों का लाल…
हम उस देश के वासी है ।।
हम भारत के वासी है, संस्कृति हमारी पहचान है । सारी जहां में फैली हुई, हमारी मान-सम्मान है । सादगी है हमारी सबसे निराली, अजब…
अनकही बाते
बिन कहे क्या तुम समझ जाओगे समझने कि तकलीफ उठा पाओगे या फिर पूछने पर वही थम जाओगे सर उठाकर ना कह पाओगे स्याही के…
ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे
ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे? सुना के कहानी बाल वीरों की सब को हम रुला देंगे। रात अंधेरी थी घनघोर नभ में…
वाह वाह, अतीव सुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद
वाह!
जबरदस्त कविता
बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी
“न जा सकोगे गली से चुरा नजर हमसे, गली दबा देंगे,”
रचना में प्रेम और क्रोध सा लगा ,एक पल को लगा कि गला दबा देंगे
फ़िर ध्यान से पढ़ा ,….ओह गली दबा देंगे ।अधिकार जताती हुई बहुत सुंदर प्रस्तुति
आपकी समीक्षा शक्ति लाजवाब है। इतनी सुंदर समीक्षा के लिए हार्दिक धन्यवाद। आभार
वाह, बहुत खूब कविता
बहुत बहुत धन्यवाद
वाह वाह क्या बात है
सचमुच पांडेयजी तो चुलबुल पाण्डेय हो गए।
सुन्दर