Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
गुरुवार
सोई हुई चेतना को, आप गुरुवार जाग्रत करदो मन की इस मरुस्थल मैं, स्नेह की बरसात करदो -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मुझको बचाओ मुझको पढ़ाओ
कन्या बचाओ खुद कन्या कहती है- मुझको बचाओ तुम मुझको बचाओ, सपना नहीं अब हकीकत बनाओ, बेटा और बेटी का फर्क मिटाओ, बेटी बचाओ अब…
माँ मुझे जग में आने दो
माता मुझको आने दो, बाबा मुझको आने दो है कसूर क्या मेरा, जो आने से रोक रहे में भी हूँ रक्त तेरा, क्यों इसको भूल…
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