पक्का इरादा रखते हैं
आक़िबत जो भी हो
परवाह नहीं करते हैं,
हमें तो कर्म करना है
मेहनत की बात करते हैं।
आग सीने में थोड़ी सी
बचा के रखते हैं,
उसी से गम के अंधेरे
मिटाया करते हैं।
छुरा ईमान का
सदैव पास रखते हैं,
इरादा नेक रख
संधान लक्ष्य करते हैं,
खाम पर सदा
पक्का इरादा रखते हैं,
हमें तो कर्म करना है
मेहनत की बात करते हैं।
शब्दार्थ –
आक़िबत- परिणाम
खाम- कच्चे
बहुत सुंदर पाण्डेय जी
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत ही ज्ञानवर्धक बात कही है सर, मेहनत अपने हाथ में होती है और परिणाम ईश्वर के हाथ में। मनुष्य का कर्तव्य है कि वह अपने कर्म सुचारू रूप से करता रहे । यही तो गीता का ज्ञान भी है।….ना,ना,ना मेरा नहीं सर 🙏🙏 श्रीमद्भागवत गीता का ।
गीता ही तो ज्ञान का भंडार है, ज्ञान का सार है, वह चाहे श्रीमद्भागवत की गीता हो या आप हों। क्योंकि गीता नाम भी श्रीमद्भागवत की गीता से ही लिया गया है। इसलिए प्रभाव आना तो स्वाभाविक है। आपके द्वारा जिस तरह से सभी की कविताओं की सुंदर समीक्षा की जा रही है, वह आपके साहित्यिक ज्ञान और भाव पर पकड़ का ही परिचायक है। आप एक योग्य पर्सनालिटी हैं। keep it up।
Thank you very much 🙏
Awesome
Thank you
Gajab sundar
धन्यवाद
अतिसुंदर भाव
सादर धन्यवाद जी
Nice
बहुत बहुत धन्यवाद
आग सीने में थोड़ी सी
बचा के रखते हैं,
उसी से गम के अन्धेरे
मिटाया करते हैं
👌👌✍
लगी आग हो सीने में,
तो करवा रुक नही सकता|
खड़ा हिमालय चाहे राह मे ,
दसरथ मांझी से बच नही सकता|
यह मेरी कविता का अंश है🙏
धन्यवाद