पतियों की हालत पत्ति की तरह
पतियों की हालत पत्ति की तरह
श्रम कर कर गिरे पत्ति की तरह
कहने को ही घर का मालिक है
दिन श्रमरत रहा रात चौकीदारी है
बीबी की शादी तो हुई शीशे से
पति से नोंक झोंक की रिश्तेदारी है
दिल लाख ललचे खुशी के लिये
पड़ा विस्तर पे चुसे गन्ने की तरह
कहने को समाज है मर्दों का
मुर्दों जैसी घर में स्वागत है
पत्नी नौकरानी को बच्चे थमा
विस्तर पर टी वी की रानी है
खा पी मौज ले जो बच जाता
परस देती पति आगे जूठन की तरह
क्या सच में कभी इनकी हुकूमत थी
आज तो तेल निकले बादाम सी हालत है
शायद रहम हो जाये कभी औफिस में
घर में इनकी कहां ऐसी किस्मत है
उमर कैद की सजा काट रहे
निरपराध मुजरिमों की तरह
पतियों की हालत पत्ति की तरह
श्रम कर कर गिरे पत्ति की तरह
बहुत खूब, अति सुंदर हास्य रचना
बहुत ही सुंदर विनोद प्रिय रचना