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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
लोग तो पीते है इसको, हम पीते है इसको
लोग तो पीते है इसको खुद को भुलाने के लिए, हम पीते है इसको उसको याद आने के लिए, लोग तो पीते है इसको किसी…
दोस्ती
चलो थोडा दिल हल्का करें कुछ गलतियां माफ़ कर आगे बढें बरसों लग गए यहाँ तक आने में इस रिश्ते को यूं ही न ज़ाया…
मेरे गांव में होने लगा है शामिल थोड़ा शहर:द्वितीय भाग
======= हाल फिलहाल में मेरे द्वारा की गई मेरे गाँव की यात्रा के दौरान मेने जो बदलाहट अपने गाँव की फिजा में देखी , उसका…
जो आत्मनिर्भर है
1 जो आत्मनिर्भर है, उन्हें आत्मसम्मान की शिक्षा दे रही हैं क्यूँ हमारी सरकार? मजदुर अपने बलबूते पर ही जिन्दगी जीते, ये जाने ले हमारी…
बहुत अच्छी
सादर धन्यवाद
सुन्दर कविता
अति सुंदर
मनुष्य को सत्य ,असत्य के बारे में भान कराती सुंदर रचना।
सुन्दर
बहुत अच्छी कविता
👌✍🙏
Nice Poetry
Good