Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
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मेरे गांव में होने लगा है शामिल थोड़ा शहर:द्वितीय भाग
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जो गया लौट कर
आया नहीं।
शहर का हो गया
गांव फिर भाया नहीं।
वह चबूतरा टूटता
टूटता सा,
____________ गांव से शहर आने पर और फिर गांव ना लौट पाने का बहुत ही हृदय स्पर्शी चित्रण प्रस्तुत किया है कवि सतीश जी ने अपने इस रचना में , अति उत्तम अभिव्यक्ति, उम्दा लेखन
बहुत सुंदर सतीस जी
अति उत्तम रचना
बहुत अच्छी कविता