पालघर
ये बेबस सी दिखती है जो, ये उस निर्दोष की पत्नी है,
जिसे संतों के संग कत्ल किया, ये उस खामोश की पत्नी है ।
क्या मिला है ऐसा कर तुमको, क्या हासिल कर ले जाओगे,
इन मज़लूमों की आहों पर कितनी आगे तक जाओगे ?
जिसने सारथी होकर उस पल, संतों के रथ को खींचा था,
जिसने परिवार की भूमि को अपनी मेहनत से सींचा था ।
जिसका निश्चय बस इतना था, कि संतों को ले जाना है,
जिसने इक पल ना ये सोचा, कि रुकना है या जाना है ।
इस तरह रचकर चक्रव्यूह, जिसने संतों को मारा हो,
ना इस जग, ना ही उस जग में, उसका कोई करुण किनारा हो ।
उसको भी वहशत मार गई, जिसने भगवा का साथ दिया,
उसको भी धकेला लोगों ने, जिसने उठने को हाथ दिया ।
ये कैसी रंजिश है आखिर, ये कौन सा क्रोध उतारा है?
इन मरे हुओं को देखो सब, इन्हें बिके हुओं ने मारा है ।
इन मरे हुओं को देखो सब, इन्हें बिके हुओं ने मारा है ।
#पालघरड्राइवर
यथार्थ चित्रण
धन्यवाद आपका
Satik
🙏🙏
आपकी हर एक रचना में कुछ है अलग सा एहसास