पालना

रोज तोड़ कर मैं फिर बना लेता हूँ,
जोड़ कर कुछ खांचे खिलौने का घर अपना,
रोज खेल कर मैं फिर बहला लेता हूँ,
जोड़ कर कुछ टुकड़े आईने सा मन अपना,
रोज देख कर मैं फिर मिटा लेता हूँ,
जोड़ कर कुछ ख़्वाबों का सपना अपना,
रोज घूम कर मैं फिर लौटा लेता हूँ,
जोड़ कर कुछ पलो का पालना अपना॥
राही (अंजाना)

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

लौटा दे..

‘वो एक पल भी किसी तौर ना हुआ मेरा, जो मैंने बाँधा था मन्नत का धागा, लौटा दे.. के तुझसे एक कदम साथ भी चला…

Responses

New Report

Close