प्यार
हम उनसे प्यार और वो बेक़रार करते रहे
कहना था कुछ और, और ही कुछ कहते रहे
वो दौर-ए-जवानी मुझे सारा मेहखना दे रही थी
लेकिन हम तो बस अपनी आँखों से ही पीते रहे
निगाहों से कभी पीला कर तो देखो
जुल्फों की रातो में किसी को सुला कर तो देखो
ज़हर, नशा और काँटे, गुलाब लगने लगेंगे
कभी मोहब्बत की राहों में आकर तो देखो
वाह बहुत सुंदर रचना
Dhanyawad sirji….🙏
बहुत खूब
Dhanyawad sirji….🙏
सुन्दर
Dhanyawad sirji….🙏
Nice
Dhanyawad ji……🙏
Nice
Dhanyawad mam……,🙏
वाह
Dhanyawad sirji…..🙏
Wah
Superb