प्रतिस्पर्धा
एक ही प्रतिस्पर्धा में अलग अलग स्वाद मिलते हैं
इसी से पर मुश्किल से मंजिलों के ख्वाब पलते हैं
लक्ष्य है निर्माण कि स्वतंत्रता सब अनुभव कर सके
बीमारी गरीबी और अज्ञानता भूत की बात बन सके
चैन से बैठें नहीं जब तक की लक्ष्य हासिल न हो
गंतव्य तक पहुंचें कि सब के लिए पथ मुमकिन हो
सोंच से ही बनते तो महान चाहे लोग हों या कि देश
अच्छी सोंच से ही हो पाता सफल कोई भी काम नेक
वाह, बहुत ही सुन्दर
Wah
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति
सुन्दर
सुंदर अभिव्यक्ति
निर्माण की
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति भाई जी
बहुत सुंदर रचना