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एक दिन मैंने पुत्र से कहा,
बेटा, तू मेरा हमसूरत है,
तू ही मेरी ज़रूरत है।
छोड़ अकेले मुझे जाना नहीं,
खून के आंसू मुझे रुलाना नहीं।
तुम से ही ज़िंदगी ख़ूबसूरत है।
तू ही तो मेरी ज़रूरत है।।
पुत्र ने कहा पापा,
आप नहीं दादाजी के हमसूरत हैं?
आप नहीं उनकी ज़रूरत है।
आप भी तो उनको छोड़ आए हो,
मुझसे कैसी उम्मीद लगाए हो।
सुन हुआ स्तब्ध, जैसे मूरत है।
आप नहीं उनकी ज़रूरत हैं।।
यह तो प्रकृति का नियम है,
इंसान जो बोएगा,
वही तो काटेगा।
दुख देकर किसी को,
खुशियां कैसे बांटेगा।।
देवेश साखरे ‘देव’
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NIMISHA SINGHAL - October 6, 2019, 12:35 pm
Nice
देवेश साखरे 'देव' - October 7, 2019, 10:43 am
Thanks
राम नरेशपुरवाला - October 6, 2019, 5:43 pm
Shabash
देवेश साखरे 'देव' - October 7, 2019, 10:44 am
धन्यवाद
Poonam singh - October 6, 2019, 8:52 pm
Nice
देवेश साखरे 'देव' - October 7, 2019, 10:43 am
Thanks
महेश गुप्ता जौनपुरी - October 7, 2019, 11:13 am
वाह
देवेश साखरे 'देव' - October 7, 2019, 11:26 am
धन्यवाद