प्रतीक बन जा
कठिन पथ पे चलकर, फतह हासिल करने की
तू प्रतीक बन जा !
स्वमेहनत से कुछ ऐसा कर, सभी के मन की
तू मुरीद बन जा !
अनेक रंगों से सजे, संग- संग गुजारे
खट्टे- मीठे कयी भावों में पल बीते हमारे
बिखरती-संवरती, कभी चल-चल के ठहरती
चलते रहे निरन्तर एक-दूजे के सहारे
बस ख्वाहिश है इतनी,नित नव कीर्तिमान गढते
निडर, निर्भिक, अनवरत् आगे बढते
निराशाओं के भंवर में भी पुरउम्मीद बन जा !
कठिन पथ पर चलकर, फ़तह हासिल करने की
तू प्रतीक बन जा !
जिसकी चाहत भी न की हो, वह सब हासिल हो तुमको
मनचाहा वह वर मिले, तेरी खुशी की बस चाहत हो जिनको
जिनकी हर ख्वाहिश को पूर्ण करने वाली मनभावन
तू कल्पवृक्ष बन जा !
कठिन पथ पर चलकर, फ़तह हासिल करने की
तू प्रतीक बन जा !
बहुत सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद
वाह वाह बहुत खूब, बेहतरीन कविता
बहुत बहुत धन्यवाद
👌✍✍🙏
बहुत बहुत धन्यवाद
बेहतरीन
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद
वेरी नाइस
बहुत बहुत धन्यवाद
अतिसुंदर भाव
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत सुंदर