प्रपंच
जो बढ़ रहा है हाथ नापाक उसे तोड़ना होगा,
हाथ मिलाया था जो बेशक उसे छोड़ना होगा,
रच लिए बखूबी प्रपंच और चढ़ लिए ढेरों मंच,
अब उतर कर जंग में इनका सर फोड़ना होगा,
वार्तामाप नहीं अब और कोई भी आलाप नहीं,
ये मानलो इन हवाओं का भी रुख मोड़ना होगा।।
राही अंजाना
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NIMISHA SINGHAL - November 10, 2019, 8:01 pm
Khub kha
राही अंजाना - November 10, 2019, 9:14 pm
Thanks
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - November 10, 2019, 9:58 pm
बहुत खूब
राही अंजाना - November 10, 2019, 10:59 pm
धनयवाद
nitu kandera - November 11, 2019, 8:16 am
Wah
राही अंजाना - November 11, 2019, 11:43 am
धन्यवाद
देवेश साखरे 'देव' - November 11, 2019, 11:40 am
वाह
राही अंजाना - November 11, 2019, 11:53 am
धन्यवाद
Neha - November 18, 2019, 8:21 pm
Wash
राही अंजाना - November 18, 2019, 10:17 pm
धन्यवद
Abhishek kumar - November 24, 2019, 9:10 am
वाह
राही अंजाना - November 24, 2019, 7:40 pm
धन्यवाद