Categories: मुक्तक
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
हम दीन-दुःखी, निर्बल, असहाय, प्रभु! माया के अधीन है ।।
हम दीन-दुखी, निर्बल, असहाय, प्रभु माया के अधीन है । प्रभु तुम दीनदयाल, दीनानाथ, दुखभंजन आदि प्रभु तेरो नाम है । हम माया के दासी,…
नही मिलते
ये रास्तें है कैसे हमसफ़र नही मिलते, छूट गए जो पीछे उम्र भर नही मिलते! सूख चूके है उनके दीदार के इंतजार में, हरे-भरे अब…
हिंदी ग़ज़ल-बचना भगवान भी चाहिए
हिन्दी गजल- बचना भगवान भी जरूरी | हिन्द जमीं राम भी जरूरी और रहीम भी जरूरी | बना रहे सबमे भाईचारा दिलो यकीन भी जरूरी…
जरूरी तो नहीं
मै जानती हूँ मुझमें गुस्सा थोड़ा ज्यादा है पर मै दिल की बुरी हूँ जरूरी तो नहीं….. बड़ो के आगे झुकना चाहिए पर हमेशा मैं…
अति सुंदर
मन से भक्ति आने पर ही पूजा करनी चाहिए
हार्दिक धन्यवाद प्रज्ञा जी
आज के समाज की सच्चाई यही है सर झुका देने मात्र से समझते हैं कि हमने पुण्य कमा लिए सारी गलतियां ईश्वर ने माफ कर दी। जबकि मन मे छल कपट की भावना बनी रहती है।
समीक्षा हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर।बिल्कुल सच कहा आपने
सुंदर
सादर धन्यवाद भाई जी🙏