प्रवासी भारतीय
अपने वतन की मिट्टी को,
क्या कभी तू भुला पाएगा
जिस आंगन में खेला-कूदा,
क्या वो याद ना आएगा
जिस विद्यालय कॉलेज से
ली शिक्षा तुमने युवक
क्या उसके प्रति भी,
नतमस्तक ना हो पाएगा
जिस डिग्री के बलबूते गया परदेस,
वह डिग्री यहीं से पाई थी
क्या उस डिग्री को देख कर भी
आंख ना कभी भर आई थी
बन-संवर कर जहां से चला था,
क्या वो गलियां याद ना आती हैं
वो घर,शहर तेरा देश तेरी राह देखता
वो यादें कभी तो याद आएंगी,
तू लौटकर आएगा एक दिन,
ये मिट्टी तुझे बुलाएगी ।
_____✍️गीता
प्रवासी भारतीय दिवस पर मेरी ओर से प्रस्तुति
9 जनवरी को भारतीय प्रवासी दिवस मनाया जाता है ।
किसी कारण से कल कविता प्रकाशित नहीं कर पाई थी।
आज प्रवासी भारतीय पर मेरी कविता प्रस्तुत है
अतिसुंदर भाव पूर्ण रचना
अपने देश और देश की मिट्टी सभ्यता संस्कृति से जोड़ने वाली सुंदर और प्रेरक कविता है आपकी। बहुत खूब
इतनी सुंदर समीक्षा हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद भाई जी🙏
सुन्दर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद कमला जी
बहुत सुंदर 👌👌👌
बहुत-बहुत धन्यवाद ऋषि जी
प्रवासी भारतीय दिवस पर कवि गीता जी की यह बेहतरीन रचना है। भाषा सरल है और अपने प्रभाव से पाठक तक आसानी से भाव सम्प्रेषण करने में सक्षम है। अपनी इस अभिव्यक्ति में कवि ने पलायन से जुड़ी गहरी संवेदना को प्रकट किया है।
कविता की इतनी सुन्दर और उत्कृष्ट समीक्षा हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी, बहुत-बहुत आभार सर