प्रेम का संदेश दें
अपनी खुशियों पर
रहें खुश
दूसरों से क्यों भिड़ें,
बात छोटी को बड़ी कर
पशु सरीखे क्यों लड़ें।
जिन्दगी जीनी सभी ने
क्यों किसी को ठेस दें,
हो सके तो कर भलाई
प्रेम का संदेश दें।
आज दुनियाँ में कमी है
प्रेम की, उत्साह की
कर प्रेरित हर किसी को
प्रेम का संदेश दें।
क्या रखा है तोड़ने में
जोड़ने की बात कर
एक माला में गूंथे
यूँ बिखरना छोड़ दें।
नफ़रतों को त्याग दें
इंसानियत को पास रख,
दूसरों को भी दें जगह दें
शूल बोना त्याग दें।
क्या करेंगे कर इक्कठा
हाथ आना कुछ नहीं
कुछ जरूरतमंद को दें
साथ जाना कुछ नहीं।
अपनी खुशियों पर
रहें खुश
दूसरों से क्यों भिड़ें,
बात छोटी को बड़ी कर
पशु सरीखे क्यों लड़ें।
—— डॉ0 सतीश चंद्र पाण्डेय
बहुत सुंदर कविता
थैंक्स
Very nice poem
Thanks
Beautiful thought
Thank you
Very nice
Thank you
अतिसुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद