प्रेम की बारिश
सुनो! अपने घर की छत से देर
तक जिस आसमान को
निहारा करते हो न..
उस आसमान के एक छोटे से टुकड़े में
अपने दिल में बसे प्रेम का इक कतरा
भर कर इन हवाओं के साथ
मेरे पास भेज दो…
जब वह प्रेममय बादल मुझपर बरसेगा तो
उसकी बारिश में भीग कर फिर से हरी
हो जायेगी मुद्दतों से बंजर पड़ी
मेरे दिल की ज़मीं..!!
©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’
लगातार अपडेट रहने के लिए सावन से फ़ेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, पिन्टरेस्ट पर जुड़े|
यदि आपको सावन पर किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो हमें हमारे फ़ेसबुक पेज पर सूचित करें|
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - October 7, 2020, 1:13 pm
बहुत खूब
अनुवाद - October 7, 2020, 1:17 pm
धन्यवाद 🙏
Geeta kumari - October 7, 2020, 3:51 pm
सुन्दर पंक्तियां
अनुवाद - October 7, 2020, 6:29 pm
धन्यवाद 🙂
Satish Pandey - October 7, 2020, 6:09 pm
वाह क्या बात है। बहुत सुंदर लाजवाब प्रेममयी अभिव्यक्ति
अनुवाद - October 7, 2020, 6:29 pm
धन्यवाद सर 🙏
Pragya Shukla - October 7, 2020, 8:44 pm
Beautiful
अनुवाद - October 7, 2020, 11:58 pm
Thank you,🙂