फोन पर बातें
जब रूबरू हों।
तो गुफ्तगु हो।
एक मैं रहूँ,
और एक तू हो।
कुछ अनकही बातें,
आँखों से सुन लूं।
फोन पर बातें मुझे भाती नहीं,
बगैर देखे बातें समझ आती नहीं।
होंठ से तेरे, शब्दों का झड़ना,
दिल में उतरना, कानों में पड़ना।
प्रेम मनुहार, वो मीठी तकरार,
तेरा रुठना, और मुझसे लड़ना।
दिल की धड़कनें,
दिल से सुन लूं।
फोन पर बातें मुझे भाती नहीं,
बगैर देखे बातें समझ आती नहीं।
तेरी बातों की चहक।
तेरे तन की महक।
तेरे चेहरे का नूर,
तेरी आँखों की चमक।
फोन में कहाँ पाता हूँ ,
सामने हो तो सुन लूं।
फोन पर बातें मुझे भाती नहीं,
बगैर देखे बातें समझ आती नहीं।
देवेश साखरे ‘देव’
वाह क्या बातें h
धन्यवाद
वाह कविराज
आभार आपका
Nice
thanks
Wow very beautiful
Thank u so much
Kya khub
धन्यवाद
लाजवाब प्रस्तुति
आभार आपका
Nice