Categories: Other
Related Articles
बूंद बूंद बूंदें।
बूंद बूंद बूंदें बूंद बूंद बूंदें बूंद बूंद बरसती है , आंखों से मेरी । तूने क्यों की रुसवाई , जज्बातों से मेरे। बूंद बूंद…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
अब तो चुनर भिगा लो
जाओ न इस तरह से बरसात की ऋतु है, रूठो न इस तरह से बरसात की ऋतु है। छोटी सी जिंदगी है दूरी में मत…
बादल
बादल ,बादल बन आया था बादल , बादल बन छाया था चहुँ ओर बरसकर बादल ने भारी कोहराम मचाया था बादल बादल बन लहर गया…
यादें
बेवजह, बेसबब सी खुशी जाने क्यों थीं? चुपके से यादें मेरे दिल में समायीं थीं, अकेले नहीं, काफ़िला संग लाईं थीं, मेरे साथ दोस्ती निभाने…
Nice
बहुत भावपूर्ण रचना
वर्षा ऋतु का सुंदर प्राकृतिक वर्णन करती हुई पाठक जी की बहुत ही उच्च कोटि की रचना
बहुत सुंदर पंक्तियाँ
अतिसुंदर रचना