बसंत पंचमी
माघ मास का दिन पंचम,
खेतों में सरसों फूल चमके सोने सम।
गेहूं की खिली हैं बालियां,
फूलों पर छाई बहार है,
मंडराने लगी है तितलियां।
बहार बसंत की आई है,
सुखद संदेशे लाई है।
चिड़िया भी चहक रही हैं,
हर कली अब महक रही है
गुलाबी सी धूप है आई,
कोहरे ने ले ली विदाई।
पीली-पीली सरसों आने लगी,
पीली चुनरी मुझको भाने लगी।
नई-नई फसलें आती है,
बागों में कोयल गाती है।
भंवरे ने संगीत सुनाया है,
फूल कहे मैं हूं यहां,
तेरा स्वर कहां से आया है।
शीत ऋतु का अंत हो रहा,
देखो आरंभ बसंत हो रहा।
मन में छाई है उमंग,
खिलने लगे प्रकृति के रंग।
वीणा वादिनी विद्या की देवी,
मां सरस्वती का करें वंदन।
लगा कर ललाट पर चंदन,
बसंत पंचमी पर हाथ जोड़ कर,
मां सरस्वती को शत्-शत् नमन।।
_____✍️गीता
बहुत सुंदर भाव
पर प्रारंभ के कुछ पंक्तियों में संतुलन जरुरत है,बहिन।
समीक्षा हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद भाई जी, कृपया मार्गदर्शन करें 🙏
माघ मास का दिन पंचम।
खेतों में फूले सरसों चमचम।।
हरित मनोहर खेतों में फिर से
खिल गई गेहूँ की बालियाँ।
फूलों पर छाई बहार
है मडराने लगी तितलियाँ।।
बहार बसंत की आई है,
सुखद संदेशे लाई है।
चिड़िया भी चहक रही हैं,
हर कली अब महक रही है
गुलाबी सी धूप है आई,
कोहरे ने ले ली विदाई।
पीली-पीली सरसों आने लगी,
पीली चुनरी मुझको भाने लगी।
नई-नई फसलें आती है,
बागों में कोयल गाती है।
भंवरे ने संगीत सुनाया है,
फूल कहे मैं हूं यहां,
तेरा स्वर कहां से आया है।
शीत ऋतु का अंत हो रहा,
देखो आरंभ बसंत हो रहा।
मन में छाई है उमंग,
खिलने लगे प्रकृति के रंग।
वीणा वादिनी विद्या की देवी,
मां सरस्वती का करें वंदन।
लगा कर ललाट पर चंदन,
बसंत पंचमी पर हाथ जोड़ कर,
मां सरस्वती को शत्-शत् नमन।।
यदि भाव में परिवर्तन नहीं हुआ हो, तो स्वीकार करें।
वैसे रचना में संशोधन की क्षमता और मौलिक अधिकार सर्वप्रथम रचनाकार का होता है।
सुन्दर सुझाव हेतु धन्यवाद भाई जी 🙏
चिड़िया भी चहक रही हैं,
हर कली अब महक रही है
गुलाबी सी धूप है आई,
कोहरे ने ले ली विदाई।
——- बसंत के आगमन कवि गीता जी की बहुत ही सुंदर रचना। रचना में बसंत ऋतु सी सुरम्यता और मधुरिमा भरी हुई है। भाषा शिल्प सब कुछ बहुत सुंदर है। वाह।
कविता की इतनी सुंदर समीक्षा हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी