Categories: मुक्तक
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यह गीत धरा का धैर्य गर्व है, नील–गगन का यह गीत झरा निर्झर-सा मेरे; प्यासे मन का …. यह गीत सु—वासित् : चंदन–वन…
बरसा के बदरिया
भोजपुरी गीत – बरसा के बदरिया | बरसा के बदरिया मे पनिया पडेला राम | ये मोर सजना तनी चलता बुनिया मे नहाए | ये…
मोर रंग दे बसंती चोला, दाई रंग दे बसंती चोला
ये माटी के खातिर होगे, वीर नारायण बलिदानी जी। ये माटी के खातिर मिट गे , गुर बालक दास ज्ञानी जी॥ आज उही माटी ह…
एहे बरस के सावन मे (भोजपुरी गीत)
सावन में सावन में, एहे बरस के सावन मे आवऽ न गोलकी झूला झूलाईं एहे बरस के सावन मे सावन में सावन में , एहे……………………………………..…
हिन्दी कविता- बसंत आने लगा |
हिन्दी कविता- बसंत आने लगा | बागो मे फूल कलियों बाहर अत्यंत आने लगा | मस्त मदन लिए अंगड़ाई देखो बसंत आने लगा | शरद…
बहुत खूब
समीक्षा के लिए धन्यवाद।
उम्दा लेखन
आपकी समीक्षा ही मेरे हौसले को बुलंद करती है।
बहुत सुंदर लिखा है, वाह
पांडे जी। आप हमेशा की तरह इस बार भी मेरी कविता को सराहा। बहुत बहुत धन्यवाद।