बस इक लम्हा हूँ गुजर जाऊंगा मैं
कहाँ किसी को समझ आऊँगा मैं।
बस इक लम्हा हूँ गुजर जाऊंगा मैं।।
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तूफानों अब के दम भर के मिलना।
तिनका नही हूँ जो बिखर जाऊँगा मैं।।
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मुझे गुमराह करने वाले वहम में है।
मुझे छोड़ा हैं तो किधर जाऊंगा मैं।।
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मंजिल करीब हो तो रास्ते खुद बनेंगे।
गिरने के डर से क्या ठहर जाऊँगा मैं।।
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मेरी हैसियत नहीं के तुम्हें कुछ दे सकूँ।
चाहो टूटकर तारों सा बिखर जाऊँगा मैं।।
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हज़ार जख़्म जिन्दा है अभी तक दिलो में।
ये जरा सी चोट पर क्या सिहर जाऊँगा मैं।।
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मुश्किलो जितना चाहो तपा लो मुझको।
इक जिंदगी हूँ आखिर निखर जाऊँगा मैं।।
@@@@RK@@@@
वाह