बहुत सुहानी सर्दी आई
सर्दी ने शीतलहर का थामा हाथ,
सुहाने लगा कंबल का साथ
दिन में भी धुंध है छाई,
सूरज भी नहीं दे दिखाई
अदरक वाली चाय सुहाए,
गरम परांठे मन को भाएं
आइसक्रीम से टूटा नाता,
गाजर का हलवा है भाता
पालक मेथी सरसों लाई,
बहुत सुहानी सर्दी आई
दिन भी जल्दी छिप जाता है,
सूरज कम ही गरमाता है
प्रात: जल्दी उठना भी चाहो,
उठने देती नहीं रजाई
कोहरा और ठंडा जल लेकर,
बादल संग सर्दी है आई ।।
_____✍️गीता
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति
धन्यवाद सुमन जी
बहुत ही सुंदर रचना
शिल्प और कला की दृष्टि से आपकी रचना अतिसुंदर भाव युक्त है। प्रारम्भ से हीं मनोरम काव्य सृजन।पहली पंक्ति में जैस सर्दी और शीततलहर ने अपनी गृहस्थी बसाई हो और एक एक आनन्द का सांकेतिक वर्णन।
इतनी सुन्दर समीक्षा हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद भाई जी, बहुत बहुत आभार 🙏
सर्दी का सम्पूर्ण आनंदित वर्णन
समीक्षा हेतु बहुत आभार
सुन्दर अभिव्यक्ति
समीक्षा हेतु बहुत बहुत आभार
सुंदर रचना
आभार