बादल की बौछार
दो बूँद गिरा गया बादल
महका है धरती का आँचल
बन सर्द पवन लहराई
मिट्टी की महक-महकाई
सब काम काज रुक गए हैं
बादल के आगे झुक गए हैं
ममता ने ली है अंगड़ाई
लो सब ने प्यास बुझाई
खामोश हुआ इंसान जब
पड़ी गर्ज की चमक दिखाई
पानी-की बौछार चलाके
संगीत में सूर को मिलाके
गालों को मर्म सहलाएँ
कानों से थरथरी आएँ
सप्तधनू आकाश में छाया
देने सूक्ष्म श्रेस्ट बधाई
दो बूँद गिरा गया बादल
महका है धरती का आँचल
बन सर्द पवन लहराई
मिट्टी की महक-महकाई
©M K Yadav
बहुत सुंदर रचना
CG ati-aabhar
Very good
धन्यवाद ऋषि
👏👏👏
🙏🙏🙏
Sunder
shukriya Vinay G 🙏
shukriya Aapka
दो बूँद गिरा गया बादल
महका है धरती का आँचल
— बहुत सुन्दर
शुक्रिया! शुक्रिया सतीश जी 🙏
Thank you so much 👏👏👏
बहुत सुंदर कविता।