बाल कविता
मेरा बेटा
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गोलू मोलू गप्पा सा,
गुस्सा जैसे हलवा सा, अकड़ -मकड़ दिखलाता है ,
हंसाओ तो सब भूल जाता है।
लड़ने को हरदम तैयार ,
बहन को करता बहुत प्यार
लेकिन अकड़ दिखाता है,
रोब खूब जमाता है।
प्यार से सब कुछ देता है गुस्से में सब लेता है।
हंसता रहता हरदम ऐसे फूल हंसा हो खिलके जैसे ।ख बातें करता बड़ी-बड़ी परीक्षा लेता घड़ी-घड़ी ,
अच्छा मम्मी जरा बताओ क्या है मतलब यह समझाओ ।
सुना-सुना कर गपोड़ी बातें,
हसाता हरदम दिन हो या रातें।
ऐसा मेरा बेटा है कहो जरा यह कैसा है दोस्त बनाने में है न्यारा,
मम्मी पापा का का है दुलारा।
निमिषा सिंघल
वाह वाह सराहनीय रचना
धन्यवाद
Good
Thanks
Good