बुरा ना मानो होली है!

बुरा ना मानो होली है!
जोगीरा सा रा रा,
होली आई, होली आई.
बीत गयी बसंत, लौटी है फिर से फागुन के होली की उमंग.
भांग पीकर सब ऐसे मस्त पडे़ है,
जैसे दुनिया के सारे रंजोगम से बेखबर लग रहे है.
बच्चों की टोली आई,
रंगों के साथ खुशियाँ लाई.
कि
कई मीठे पकवान बने हैं,
बड़े तो बड़े दादाजी भी झूम रहे हैं .
याद आ गई बचपन की वो बातें,
पिचकारी में भरके रंगों को दूसरों पर उड़ेलना .
और दूसरों का

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. आदरणीय संपादक महोदय मैं नवनीता कुमारी मैंने अपनी पूरी रचना बुरा ना मानो होली है जीमेल से आपको भेजी है क्योंकि सावन के साइट पर पूरी रचना पब्लिश नहीं हो पा रही थी कृपया इसे प्रकाशित करने का कष्ट करे.

    1. हमें आपकी मेल प्राप्त नहीं हुई है, आप अपनी कविता हमें +91 91168 00406 पर व्हाट्सएप कर सकतें हैं।

+

New Report

Close