बूढ़े मां बाप की व्यथा

दो वक्त की रोटी भी
ना दे सके वो बच्चे
“उनको” (बूढे मां-बाप )
जिनके खातिर
‘खुद’ का जीवन
लगा दिया कमाने में
उस घर में एक
कोना भी ना
” उनका”
“जिन्होनें” सारी उम्र
निकाल दी
‘ घर को घर ‘
बनाने में
बूढ़े मां बाप ने
गरीबी में
पाल लिए पॉच बच्चे !
इन्ही बच्चो ने
बूढ़े मां बाप को
छोड़ दिया
बेबस लाचार जमाने में
–✍️एकता
अति सुंदर
धन्यवाद
Nice
बूढ़े मां बाप की वेदना को व्यक्त करती सुंदर पंक्तियां जिनके बच्चे बुढ़ापे में उन्हें घर से निकाल देते हैं मार्मिक अभिव्यक्ति
बहुत लाजवाब रचना, साहित्य से ओतप्रोत वाह
सादर अभिनंदन
उच्च स्तरीय साहित्यिक रचना,
सादर आभार
मार्मिक रचना
सादर आभार