बेकार में निराश न हुआ कीजिये (बरवै छंद)

जो चलता है हरदम, सत्य पथ पर,
उसे किसकी परवाह, क्यों हो डर।
दूजे की उन्नति पर, प्रसन्न जो,
वही दिशा देता है, जमाने को।
बेकार में निराश न हुआ कीजिये,
तुम दुआ दीजिये बस, दुआ लीजिए।
दाल-रोटी तक खूब, काम कीजिए,
बाकी आप प्रेम का, जाम पीजिए।
अतिशय चमक पर नहीं, कशिश कीजिए,
बेकार की आप मत, खलिश कीजिए।
आज हार है तो कल, जय मिलेगी,
तेरे गीतों को भी, लय मिलेगी।
——- डॉ0 सतीश चन्द्र पाण्डेय
काव्य सौंदर्य- (खड़ी बोली हिन्दी में बरवै छंद का समावेश करने का प्रयास किया है। विषम मात्रिक 12-7, 12-7 का प्रयोग का प्रयास है)

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

Responses

  1. वाह वाह ,कवि सतीश जी की सत्य की और अग्रसर करने वाली,
    दूसरे की उन्नति पर प्रसन्न होने वाली और हमेशा खुश रहने का संदेश देने वाली बहुत ही सुन्दर छंद युक्त कविता

New Report

Close