***बौना***
बौना
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मैं बौना हूँ सब कहते हैं
जब निकलूं
हँसते रहते हैं
मानो मैं कोई
जोकर हूँ
सर्कस का कोई
बन्दर हूँ
हाँ, प्रकृति ने
किया खिलवाड़
ना मिल पाया
पोषण और प्यार
तभी बना मैं
कद में छोटा
मेरा कोई दोष नहीं
कुछ शारीरिक कमियां हैं मुझमें
पर मन में कोई
दोष नहीं
मैं भी तुम लोगों
जैसा हूँ
कद में थोड़ा छोटा हूँ
मानसिकता अपनी
शुद्ध करो
मुझसे थोड़ा प्यार करो
मैं भी तो तुम जैसा हूँ
बस कद में थोड़ा छोटा हूँ…..
जो लोग शारीरिक या मानसिक रूप से
दिव्यांग हैं उनका मजाक ना बनाएं उनसे प्रेम से बात करें
प्रकृति ने तो उनके साथ पहले ही खिलवाड़ किया है, उन्हें हँसकर उनका मन छोटा ना करें
बल्कि उनका हौसला बढ़ाये…
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है प्रज्ञा जी, किसी को भी किसी के शारीरिक दोष के बारे में कोई कटाक्ष या मज़ाक करने का कोई अधिकार नहीं है
प्रकृति प्रदत्त दोष में कोई करे तो क्या करे, मेरा मानना है कि हमें किसी के व्यवहार से ही उसे आंकना चाहिए ना कि शारीरिक सुंदरता या शारीरिक दोष से ।शरीर तो वैसे भी नश्वर ही है । अमर तो आत्मा है तो आत्मा यानि रूह की सुंदरता देखी जनी चाहिए
बिल्कुल सही कहा दी..
ऐसे विचारों की आज कमी है लोग बस दूसरों का मजाक बनाने में लगे रहते हैं
समीक्षा हेतु धन्यवाद
Welcome sis.
बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति
धन्यवाद आपका
बहुत ही सुन्दर
धन्यवाद
बहुत सुन्दर रचना
धन्यवाद