भक्ति
ईश्वर की भक्ति में छिपा है
जीवन का आनंद
शब्दों को ताकत देता है
जैसे अलंकार और छंद
उसके बिना इस जीवन में
कुछ भी नहीं अस्तित्व हमारा
मां बाप भी एक रूप है उनके
लाठी बन, बन जाओ सहारा
विपरीत हवा का रुख रहा
फिर भी बच्चों में ही मां का सुख रहा है
धैर्य धरा पर अगर कहीं है
वह ममता का आंचल है
दुख सुख आशा और निराशा
यह तो एक परीक्षा है
फिर भी मन के कोने कोने
मचा हुआ है द्वंद
शब्दों को ताकत देता है
जैसे अलंकार और छंद
जिसने सूरज चांद बनाया ।
वीरेंद्र सेन प्रयागराज
बिल्कुल सत्य, ईश्वर की भक्ति और माता पिता की सेवा से बढ़ कर सुख कोई नहीं है ।बहुत ही प्रेरक और सुंदर रचना
आपका आभार
ईश्वर के रूप में माँ बाप की कल्पना
करना और इतना सम्मान देने की ही आवश्यकता है युवा समाज को
माँ बाप का एक सहारा
उनकी संतान ही होती है
सुंदर समीक्षा के लिए धन्यवाद प्रज्ञा जी
स्वागत है
स्वागत है
अतिसुंदर भाव