भगवान

यह डगर है अनजान ,सफर भी लम्बा बड़ा,
गंतव्य की खोज में, तू यहाँ अकेला खड़ा
पीछे हैं तिमिर के बादल ,आगे संसार पड़ा ,
रुक न पलभर को राही , हिम्मत के कदम बड़ा ई
विजन हैं राहें तेरी , कोई न तेरे संग है
तूफ़ान में तेरी कश्ती है , तू ही साहिल की तरंग है
न दर अगर कठिन राह हो , राही तू मलंग है
तू ही जाएं का रंगसाज़ है, तू ही कुदरत का रंग है
मंज़िल तेरी एक है , लेकिन एक पथ है
सिर्फ एक सही राह है , बाकी सब विपथ है,
उस राह को न छोड़ तू , वाही राह विजयपथ है
हिम्मत न हार राही , हिम्मत ही तेरा रथ है
पलभर की अँधेरी रात है , फिर दिवस महान है,
क्षितिज की गोद से निकलता , एक नया आहाँ है
एक नई रौशनी के लिए लिए, तेरा आज कुर्बान है ,
न रुक अगर दीवारें हो खड़ी , तू एक बड़ी चट्टान है
शिखर की ओर बड़ चले कदम , अब उन्हें न थाम दे,
मंज़िल तेरी पास है , अब न सफर को विराम दे ई
हौंसलों की दीवार हिल पड़े , पलभर को न आराम दे ,
भूल जा सारे दुःख अपने , अपने दर्द को ख़ुशी का नाम दे
शिखर पर खड़ा तू, लहराता विजयध्वज विशाल है,
अम्बर से बरस रहा है अमृत , मिट रहा अकाल है ,
तेरी मंज़िल चरणों में है , लेकिन विजयपथ लहू से लाल है ,
आरम्भ है नए संसार का, मगर तेरा अंतकाल है
हर नए ज़माने को जनम कुछ मस्ताने दे जाते हैं,
उनके बलिदान , उनके कर्म ही अफ़साने लिख जाते हैं
कुछ नहीं ले जाते जहां से , सभी को जीवनदान दे जाते हैं ,
इन्हीं वीरों को याद करते हैं , जिन्हे हम भगवान बुलाते हैं
गंतव्य की खोज में, तू यहाँ अकेला खड़ापीछे हैं तिमिर के बादल ,आगे संसार पड़ा ,
Bahut ache shabd
nice
nice piece 🙂